मेहनत की मिठास || Very Short Moral Story With Valuable Lesson In Hindi | New kahani

मेहनत की मिठास || Very Short Moral Story With Valuable Lesson In Hindi | New kahani

मेहनत की मिठास || Very Short Moral Story With Valuable Lesson In Hindi | New kahani
Moral Story In Hindi

मेहनत की मिठास || Very Short Moral Story With Valuable Lesson In Hindi | New kahani

चंदनपुर गांव में गोपाल और रेबती नाम के दो भाई-बहन रहते थे। मां-बाप का बहुत छोटी उम्र में ही निधन हो गया था। रेवती का इस दुनिया में कोई था तो वह उससे तीन साल बड़ा गोपाल ही था। दोनों अपने पिता के छोड़े गन्ने के खेत में दिनभर मेहनत करते।
इस साल उनके लिए अचानक चिंता का विषय पैदा हो गया। बारिश ठीक समय पर बरसी नहीं, सो खेत में पानी की कमी से गन्ने की खेती सूखने को हो आई हालांकि वे दोनों काफी मेहनत करते, पर बिना पानी फसल कैसे हो। खेत में पानी पहुंचने का जरिया सिर्फ एक ही रह गया था उनके खेत से थोड़ी दूर बहने वाली नदी | संतोष की बात यह थी कि पानी कम बरसने के बावजूद नदी में इतना पानी था कि उससे अपने खेत में पानी दिया जा सकता था, पर समस्या: यह थी कि इतनी दूर से पानी उनके खेत तक कैसे पहुंचे ? इसी उधेड़बुन में गोपाल के मन में स्वार्थी व उल्टे-सीधे विचार आने लगे। उसने सोचा, क्‍यों न उनके पास के खेत में खुदे कुएं से जो पानी नाली में जाता है,उसे काटकर अपने खेत में थोड़ा पानी ले लिया जाए। वैसे इस गलत कार्य का गोपाल को बोध था, पर वह दूर नदी से पानी लाने की मैहनत से बचना चाहता था। ज्योंहि गोपाल ने फावड़े से पास वाले खेत की नाली को काटना शुरू किया, बहन रेवती ने उसे टोका और इसे बेईमानी बताया। रेवती को अपने पिता की इस बात का पूरी तरह ध्यान था कि बेईमानी से कमाया धन कभी नहीं टिकता। रेवती ने गोपाल से यह भी कहा कि हम गरीबों के लिए एक ईमानदारी ही तो चरित्र का आभूषण है, अगर हम थोड़ी ज्यादा मेहनत कर नदी से नाली निकालकर पानी ले आएं तो समस्या हल हो सकती है।बहन के नेक विचार जान गोपाल को अपने पर लज्जा आई कि चोरी जैसी बुरी बात उसके दिमाग में क्यों आई ? रेवती ने उसमें ईमानदारी का एक नया जोश भर दिया। वह फावड़ा लेकर जी-जान से काम में जुट गया। रेवती ने भी उसकी काफी मदद की। आखिर तीन दिन की अथक मेहनत और प्रयासों के बाद उन्होंने नदी से अपने खेत तक नाली बना ही ली। खेत में खूब पानी पहुंचा। अच्छी फसल हुई खेत गन्ने से भर 'गया। अपने खेत के गन्ने खाते हुए गोपाल कह रहा था-'इस बार तो गन्ने  मीठे हुए हैं, बिलकुल मिठाई जैसे।'रेवती ने भाई का हाथ अपने हाथ में लेकर कहा "इसे मेहनत की मिठास कहो भैया। "और दोनों गन्नो को काटकर शहर भिजवाने की तैयारी में लग गए।


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