भोला देहाती और तीन ठग | ठगों की कहानी किस्सा, हिंदी कहानी | New Hindi Story

 भोला देहाती और तीन ठग | ठगों की कहानी किस्सा, हिंदी कहानी | New Hindi Story

भोला देहाती और तीन ठग | ठगों की कहानी किस्सा, हिंदी कहानी | New Hindi Story
 हिंदी कहानी 

भोला देहाती और तीन ठग | ठगों की कहानी किस्सा, हिंदी कहानी | New Hindi Story

 

 एक देहाती घोड़े पर सवार होकर गांव की तरफ जा रहा था। वह बहुत सीधा और भोला था। उसके साथ एक मोटा ताजा बकरा भी था जिसके गले में एक घण्टी बंधी हुई थी ताकि बकरा कहीं भाग न जाए। देहाती ने बकरे को घोड़े की दुम से बांध रखा था और वह घोड़े पर सवार हो चला जा रहा था ।

एक जगह रास्ते में तीन ठगों ने उस देहाती को देखा तो एक बोला, "वाह! क्‍या शानदार शिकार आ रहा है। तुम लोग देखना मैं उसके बकरे को ऐसे पार करूंगा कि उसे पता ही नहीं चलेगा।'' पहले ठग की बात सुन कर दूसरा ठग बोला, "'यह कौन सी बड़ी बात है मैं तो इसके घोड़े को लेकर चल दूंगा फिर भी वह नहीं चिल्लाएगा बल्कि मेरा धन्यवाद ही करेगा'' तीसरे ठग ने कहा, "मैं तो इससे भी बढ़कर काम करूंगा।"' “वह क्या?'' दोनों ठगों ने तीसरे से पूछा। "'मैं इस देहाती की कमीज उतार लूंगा फिर भी वह मुझे दोस्त ही बोलेगा ।'' उसके ठग साथियों को अपने साथी की बात पर विश्वास नहीं हुआ फिर भी तीनों देहाती के पीछे लग गए ।
कुछ दूर चलने के बाद एक ठग ने बकरे के गले में बंधी घण्टी को खोला और घोड़े की पूंछ से बांध दी फिर उसने पूछ से बकरे की रस्सी खोली और बकरे को लेकर नौ दो ग्यारह हो गया। घोड़े की पूंछ से बंधी घण्टी पूंछ के हिलने से बराबर बज रही थी। और देहाती को बकरे के चोरी चले जाने का एकदम पता नहीं लग सका। कुछ देर बाद जब देहाती ने पीछे मुड़कर देखा तो बकरा गायब देखकर चकित रह गया। अब वह बकरे की तलाश में इधर-उधर घूमने लगा। तभी दूसरा ठग उसके पास आकंर बोला, ! "क्या तलाश कर रहे हो भाई?'' "'भाई, कोई मेरा बकरा चुरा ले गया है उसी को तलाश रहा हूँ ।'' ''ओह! कहीं वह बकरा आपका तो नहीं जो एक आदमी अभी इसी गली में लेकर गया हे?'' ठग ने एक 'पतली सी गली की तरफ इशारा करके कहा । “क्या? जरूर वही मेरा बकरा होगा लेकिन इस गली में मेरा घोड़ा नहीं जा सकता।'' "इसमें चिंता करने जैसी कोई बात नहीं, आपका घोड़ा में देखता रहूंगा। आप बकरे वाले चोर को देखिए।'' देहाती ठग को अपना घोड़ा देकर तंग गली में चला गया ।और जब वापस लौट कर आया तो घोड़ा भी गायब पाया। देहाती अपनी अक्ल को रोने लगा। फिर उसने निश्चय किया कि अब वह जल्दी किसी की चालों में नहीं फंसेगा। यह सोचकर वह आगे बढ़ गया। कुछ दूर निकल आने के बाद उसे किसी के रोने की आवाज सुनाई दी। उसने रोने वाले को देखा जो तालाब के किनारे बैठा जोर जोर से रो रहा था। यह तीसरा ठग था। देहाती उसके पास आया और पूंछने लगा, "क्या बात हो गयी भाई, तुम रो क्यों रहे हो ?" "'क्या बताऊं भाई, मेरी जेब में दस हजार रुपये की  थैली राखी थी। पानी पीने के लिए मैं तालाब में झुका तो थैली जेब से निकल कर तालाब में गिर गई।'' "तब तालाब में उतर कर थैली निकाल क्यों नहीं लाते ? '' देहाती ने सलाह दी। 'भाई, मुझे तैरना नहीं आता।' 'तब  देहाती ने कुछ सोचकर उससे कहा - "'अगर तुम मुझे एक बकरे और एक घोड़े की कीमत देने का वादा करो तो मैं तुम्हारी यैलो निकाल कर ला दूंगा।" "अगर तुम मेरी थेली निकाल कर ले आओ तो आधे रुपये मैं तुम्हें दे दुंगा।'' ठग ने कहा। यह सुनकर देहाती बहुत खुश हुआ और तुरन्त अपनी कमीज उतार कर ठग को देते हुए बोला, "दोस्त, तुम मेरी कमीज देखते रहना, मैं तुम्हारी थैली लेकर अभी आता हूँ।'' और देहाती तालाब में कूद गया। तीसरा ठग कमीज लेकर चलता बना। देहाती जब तालाब से बाहर आया तो देखा बकरा और घोड़ा' तो चोरी हो गया था, अब थैली के लालच मे कमीज से भी हाथ धोना पड़ गया था। तालाब से बाहर आकर वह रोने लगा। ठगों ने उसे बुरी तरह ठग लिया था।

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