अच्छाई और बुराई Short Moral Story in Hindi For Student | Hindi Naitik Kahaniyan

 अच्छाई और बुराई Short Moral Story in Hindi For Student | Hindi Naitik Kahaniyan

अच्छाई और बुराई Short Moral Story in Hindi For Student | Hindi Naitik Kahaniyan | New New Hindi Story
Short Moral Story in Hindi

अच्छाई और बुराई Short Moral Story in Hindi For Student | Hindi Naitik Kahaniyan

 वैदिक काल में नर्य, तुर्वीति, यदु और तुर्वश नाम के चार राजा थे। चारों के राज्य पास-पास थे। फिर भी उनमें कभी झगड़ा नहीं हुआ। कभी किसी ने दूसरे की सीमा पर आक्रमण नहीं किया। चारों ही शांतिप्रिय थे। उन राज्यों से कुछ दूर चार और राज्य थे। इनमें पित्रु, कुयव, शुष्ण और शंबर नामक राजा राज्य करते थे। शंबर इनमें शक्तिशाली था। वह अत्याचारी और क्रूर भी था। शंबर ने तीनों राजाओं को अपनी ओर मिला लिया। फिर उनसे कहा- “'हमसे कुछ दूर चार संपन्न राज्य हैं। इनके राजा शांतिप्रिय हैं ।हम मौका देख, इन राज्यों में लूटपाट कर सकते हैं।''तीनों राजाओं ने शंबर की बात मान ली। वे मिलकर शांतिप्रिय राज्यों में लूटपाट मचाने लगे। होते होते इस घटना का पता सज्जन राजाओं को चला। चारों राजा मिलकर बैठे। काफी सोच-विचार कर तय हुआ, एक बार शत्रुओं से बातचीत की जाए।
चारों राजाओं के दूत शंबर के पास गए। संदेश पाकर वह सोचने लगा-“चारों राजा हम से शक्तिशाली हैं । मिलकर आक्रमण कर दिया, तो हम नष्ट हो जाएंगे । कूटनीति से काम लेना चाहिए। शंबर ने दूतों से कहा-' “ठीक है।हम संधि के लिए ठीक समय पर पहुंच जाएंगे।' ! दूत लौट आए।शंबर ने अपने साथी राज्यों को संदेश भिजवा दिया उन्हें अपनी योजना समझा दी। निश्चित समय पर आठों राजा इकट्ठे हुए। फिर संधि वार्ता शुरू हुई । सज्जन राजाओं में महाराजा तुर्वश बड़े थे, इसीलिए वही उस तरफ से मुखिया थे। महाराजा तुर्वश ने कहा-' “हम सभी पड़ोसी हैं । मिलकर चलेंगे, तो प्रजा की सुख-समृद्धि के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं।'' शंबर ने तुरंत मुसकराकर हामी भर दी। महाराजा तुर्वश ने प्रस्ताव रखा। कहा-''अच्छा यही होगा कि हम अपनी सेनाएं कम कर दें। अस्त्रों-शस्त्रों का भंडार भी घटा दें। जब तक यह न करेंगे, हम सुख से नहीं रह सकते।'! ! “'ठीक है। आप बड़े राजा हैं। सेना और शस्त्र दोनों ही आपके पास ज्यादा हैं। पहले आप कदम उठाएं। हम भी सेना कम कर देंगे।' 'शंबर ने कहा। शंबर की बात सुन, उसका साथी राजा शुष्ण खड़ा होकर बोला-'“हमारी योजना तो कुछ और ही है।'” शंबर ने उसे आंख के इशारे से चुप रहने को 'कहा। फिर बोला-' मेरे साथी ने जो कहा, आप ध्यान न दें।हम आपको मित्र बनाना चाहते हैं।''बात समाप्त हो गई संधि प्रस्ताव पर हस्ताक्षर हो गए। सभी राजा अपने- अपने राज्य में लौट गए। मगर महाराजा तुर्वश की चिंता बढ़ गई थी। उस दिन शंबर की बात सुन, उन्हें शंका होने लगी थी, पर संधि प्रस्ताव पर जोर-शोर से काम होने लंगा। इधर शंबर अपनी योजना में लगा था। उसने छिपकर नए दुर्ग बनाए। सेना भी बढ़ा ली। उसके साथी राजाओं ने भी वही किया । कुछ दिन तक इन राज्यों में शांति रही। मगर एक दिन शंबर ने अपने साथी राजाओं के साथ महाराजा तुर्वश की राजधानी को चारों ओर से घेर लिया महाराजा तुर्वश 'घबराए। उनकी शंका सही निकली। सोचने लगे-'अब क्या होगा?' तभी उन्हें पता चला, सेनापति ने शत्रु पर आक्रमण कर उन्हें बंदी बना लिया है। बंदी शत्रु दरबार में लाए गए। शर्म से शंबर का सिर झुका था। जीत तो हो गई, मगर महाराजा आश्चर्यमें थे।उन्हें तो पता था, सेना घट गई है। तब युद्ध में इतने सैनिक कहां से पहुंच गए? महाराजा ने सेनापति से पूछा, तो वह बोला- “'महाराज, मुझे भी शत्रु पर शंका थी। मैंने आपकी आज्ञा का पालन किया। सेना को सैनिक शिविर से हटाकर देश के निर्माण कार्यों में लगा दिया। इसमें संधि प्रस्ताव की शर्त भी पूरी हो गई और सेना भी कम न हुई।'! फिर सेनापति ने कहा-““महाराज, शांति के शत्रुओं को कभी क्षमा न करें।'! चारों राजाओं ने आपसे में सलाह की। शंबर और उसके साथियों को आजीवन कारावास कौ सजा दी गई। >>

""अच्छे लोगों के साथ कभी बुरा नहीं होता है ""


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