लम्बी नाक वाली परी | Pari Ki Kahani | Jadui Pariyon Ki Kahaniyan
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Pari Ki Kahani |
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एक राजा था चंद्रसेन | उसकी एक पुत्री थी चंद्रकला। वह बड़ी घमंडी और क्रोधी स्वभाव की थी। उससे महल के दास-दासी बहुत डरते थे।चंद्रकला की एक ही सहेली थी नीलम। वह मंत्री की पुत्री थी, किंतु बड़ी ही दयालु और सरल स्वभाव की थी। एक दिन चंद्रकला ने शिकार खेलने का फैसला किया। उसने नीलम से भी साथ चलने को कहा। नीलम की शिकार पर जाने की इच्छा नहीं थी, लेकिन वह राजकुमारी को नाराज करना नहीं चाहती थी। बहुत देर तक जंगल में भटकने के बाद भी जब चंद्रकला को कोई जानवर दिखाई नहीं दिया, तो उसने अपना घोड़ा घने जंगल की ओर मोड़ दिया, जबकि उसके पिता ने मना किया था कि वह घने जंगल में नं जाए।
चंद्रकला ने अपने घोड़े को एड़ लगा दी और घोड़ा घने जंगल में घुसता चला गया। जंगल बहुत घना था। कुछ ही देर में चंद्रकला सबसे बिछुड़ गई। चंद्रकला को भी पता चल गया कि वह जंगल में भटक गई है । वह कुछ ही दूर गई थी कि उसने देखा, एक पेड़ के नीचे एक बुढ़िया लेटी है, उसकी नाक हाथी की सूंड की तरह लंबी थी। “'ऐ बुढ़िया, मुझे जंगल से निकलने का रास्ता बता।'!-चंद्रकला बुढ़िया के पास जाकर बोली। “'मुझे भूख लगी है।' '-बुढ़िया बोली। ““मुझे रास्ता बता, वरना तेरी नाक उखाड़ दूंगी।' -चंद्रकला क्रोधित होकर बोली। “तू मेरी नाक उखाड़ेगी ? जा, लंबी हो जाए, तेरी नाक ।'-बुढ़िया ने कहा और देखते-देखते घने जंगल में गायब हो गई।
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बुढ़िया के गायब होते ही चंद्रकला की नाक भी हाथी की सूंड की तरह लंबी हो गई। यह देखकर वह घबराकर रोने लगी। चंद्रकला को खोजते हुए नीलम भी घने जंगल में भटक गई वह चंद्रकला को पुकारते हुए जंगल में जा रही थी, तभी उसकी दृष्टि पेड़ के नीचे लेटी बुढ़िया पर पड़ी। उसकी नाक हाथी की सूंड की तरह लंबी थी। नीलम घोड़े से उतरकर उस बुढ़िया के पास पहुंची। -“मां जी, आप जंगल में अकेली... ?”! “बेटी, मुझे भूख लगी है।' -वह बुढ़िया बड़ी मुश्किल से बोली। नीलम ने आस पास देखा। कुछ ही दूरी पर एक 'फलदार पेड़ था, जिस पर फल लगे हुए थे। उसने कुछ फल तोड़कर बुढ़िया को दे दिए और स्वयं भी खाए। बुढ़िया फल खाते ही एक सुंदर परी में बदल गई। “'मेरा नाम सुमन परी है, मैंने क्रोध में एक ऋषि का अपमान कर दिया था । उसी के शाप से मैं लंबी नाक वाली क्रोधी बुढ़िया बन गई थी। तुम दयालु लड़की हो, इसीलिए तुम्हारे हाथ का छुआ फल खाते ही मैं शाप से मुक्त हो गई।' '-परी ने उसे बताया। ““मुझे जंगल से निकलने का रास्ता बता दो, सुमन परी ।' '-नीलम ने प्रार्थना की। सुमन परी नीलम को एक सुंदर गुड़िया देते हुए बोली-' 'यह गुड़िया रास्ता बताएगी और एक वरदान देगी।”” नीलम गुड़िया की सहायता से जंगल के बाहर निकल गई। वहां उसे चंद्रकला मिली, जिसकी नाक हाथी की सूंड जैसी लंबी थी। “यह क्या हुआ ?' '-नीलम ने पूछा। चंद्रकला ने बुढ़िया के शाप की बात नीलम को बता दी। “उसबुढ़ियाने तुम्हें शाप दिया और मुझे एक गुड़िया, जिससे मैं एक वरदान मांग सकती हूं।' ' - नीलम ने कहा। फिर उसने गुड़िया से चंद्रकला के ठीक हो जाने का वरदान मांगा। देखते-देखते चंद्रकला पहले जैसी सुंदर हो गई। अब वह गुस्सा करना भूल गई थी।
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