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न्याय की आधारशिला | हिंदी कहानिया | Hindi Kahaniya New Episode | Knowledge Wali Story
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shikshaprad kahani in hindi |
हिंदी कहानिया |New Episode
पीतांबर एक साधारण किसान था, लक्ष्मीपु्र के लोग उसकी बहुत इज़्ज़त करते थे और उसे मुखिया की तरह मानते थे। आपस में कोई लफड़ा-लफाड़ा हो जाता या कोई समस्या खड़ी हो जाती, तो वे उसी के पास जाते। पीतांबर भी उन्हें खूब बढ़िया सलाह देता। उसकी ख्याति एक बृद्धिमान् और न्यायप्रिय व्यक्ति के रूप में फैल चुकी थी। जब धीरे-धीरे पीतांबर की उम्र ढल गयी और वह बूढ़ा हो चला तो उसने अपनी ज़िम्मेदारी अपने बेटे वललभ को सौंप दी। वल्लभ ही अब गाँव का मुखिया माना जाने लगा। पीतांबर ने नाम तो कमाया था, पर वह कोई ज़मीन जायदाद नहीं बना पाया था। उसके पास केवल आधा एकड़ ज़मीन थी जिसे अब वल्लभ जोत रहा था। इसी से उसकी गुज़र होती थी। एक दिन रामदेव नाम का एक बूढ़ा व्यक्ति और उसका बेटा किशन आपस में किसी बात पर झगड़ा हो जाने के कारण वल्लभ के पास आये। रामदेव बोला, “देखो वल्लभ, क्योंकि मैं अब बूढ़ा हो गया हूँ और इस उम्र में अपनी रोटी नहीं कमा सकता, इसलिए मेरा बेटा मुझे रोटी खिलाने में आना-कानी कर रहा है। मेरा यही एक सहारा है, और यही अब आना-कानी करने लगा है। बताओ, मैं इस अवस्था में अब कहाँ जाऊँ? ” अब बारी किशन की थी वह बोला, “जब मेरा बूढ़ा बाप कमाता था तो पैसा पानी की तरह बहाता था | इसकी आदतें भी खराब हो गयी थीं जिससे हमारी पुश्तैनी संपत्ति धीरे-धीरे खत्म हो गयी अब नौबत ऐसी आ गई है कि मैं मुश्किल से ही मेंहनत-मज़दूरी करके अपना पेट पाल रहा हूँ। ऐसी हालत में मैं अपने बाप के लिए क्या करूँ? आप ही बताइए!” दोनों की बातें सुनकर वल्लभ थोड़ी देर के लिए चुप रहा। फिर बोला, ' रामदेव चाचा, किशन जो क॒छ कमाता है, उससे उसी का पेट नहीं भरता। ऐसी हालत में वह तुम्हें क्या खिलाये और आप क्या खाये! उसकी लाचारी समझो!”| वल्लभ का फैसला सुनकर दोनों बाप -बेटा वल्लभ के यहाँ से लौट आये। कुछ दिन इसी तरह बीते। इस बीच वल्लभ का बूढ़ा बाप पीतांबर चल बसा। इधर वल्लभ के भी एक बेटा हुआ जो धीरे-धीरे बड़ा होने लगा। उसका नाम था नीलांबर | नीलांबर बड़े-प्यार से पल रहा था।![]() |
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