जब कान्हा ने चंद्र खिलौना माँगा | A mythological story | hindi kahani | hindi short story for kids

जब कान्हा ने चंद्र खिलौना माँगा | A mythological story | hindi kahani | hindi story for kids

जब कान्हा ने चंद्र खिलौना माँगा | A mythological story | hindi kahani | hindi story for kids
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जब कान्हा ने चंद्र खिलौना माँगा | A mythological story | hindi kahani | hindi short story for kids

माँ यशोदा दही बिलो रही थीं। तभी नटखट नंदकिशोर कृष्ण एकदम बिदक गए। मां से चांद मांगने लगे। अब यशोदा मैया को बिल्कुल समझ नहीं रहा था कि वह कन्हैया से कैसे कहें कि चांद को धरती पर नहीं लाया जा सकता। मां यशोदा ने कृष्ण को प्यार से समझाने की कोशिश की। वह माने। तरह-तरह के खिलौने कन्हैया के सामने रखे। कई तरह से कृष्ण को मनाने की कोशिश की। कृष्ण किसी भी तरह से मानने वाले नहीं थे। बात एक ही थी कि चाहे जो हो जाए, आज तो चांद खिलौना ही चाहिए। मां, यशोदा ने बड़े प्यार से मक्खन दिया, मगर कृष्ण को आज मक्खन भी नहीं चाहिए। वह तो बस चांद ही मांग रहे हैं।अब तो कान्हा ने पैर पटक-पटककर रोना शुरू कर दिया। मां यशोदा बहुत परेशान कि अब क्या किया जाए? तभी मां ने एक थाली में पानी भरा उसे आंगन में रख दिया। उसमें चांद का प्रतिबिंब दिखाई दिया। मां ने बरतन की तरफ इशारा करके चांद से कहा-““चंदा, कान्हा के साथ खेल लो, वह तुम्हारे साथ खेलना चाह रहा है।'' कान्हा तो खुशी से उछलने बहुत खुश हुए। हंसते- हंसते पानी में हाथ डालकर चांद से खेलने लगे। मौज-मौज में पानी खूब उछाला | खुशी के मारे धरती पर लोटने लगे। बोले--मैया अब मैं तेरी गोद नहीं आऊंगा, मैं तो चांद खिलौने से ही खेलूंगा |

 

 


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