तोते उड़ गए | baccho ki story | baccho ki nayi kahani | new new kahani

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baccho ki nayi kahani

 

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आज पूरी गली के बच्चे बहुत खुश थे. क्योंकि उन्होंने एक तोतों का जोड़ा खरीदने का फ़ेसला किया था. वह सोच रहे थे कि तोतों का जोड़ा लाएंगे वह बच्चे देंगे. फिर उनके भी बच्चे होंगे. इस तरह हम सब के पास एक तोते का जोड़ा हो जाएगा. वह सोच-सोच कर खुश हो रहे थे.
वह कुल पन्द्रह बच्चे थे और प्रत्येक ने एक-एक रुपया दिया था. मीनू कैशियर बनी थी. तीन दिन में सभी बच्चों ने पसे दे दिए थे. अगले दिन सुबह ही सब बच्चे फिर से इकट्ठे हो गए. विपिन, श्रनिल, महिन्द्र और राजेश को तोते लाने के लिए भेजा गया. बाजार में उन्होंने कई तोते देखे पर उन्हें कोई पसंद नहीं आया. अन्त में उन्होंने एक तोते का जोड़ा पसन्द किया उसकी लाल कलगी तथा पतली चोंच उन्हें बहुत श्रच्छी लगी. ले-देकर मामला चौदह रुपए में तय हुआ उन्होंने वह जोड़ा खरीदा तथा शेष बचे एक रुपए से बाजरा, हरी मिचे और अमरूद खरीदे. सारा सामान लेकर वह खुशी-खुशी बापस आ गए. जहाँ उनका सभी बच्चे इन्तजार कर रहे थे. जब उन्होंने तोतों को देखा वह खुशी से चहक उठे. कभी पिजरे को कोई खींचता तो कभी कोई. रवि तो पिजरे को लेकर हो दौइने लगा. संजय कहता गंगाराम अमरूद खा ले. तो राजीव कहता बसंती हरी मिर्च  खा ले. उनकी खुशी देखने वाली थी. वह तो यूं समझ रहे थे जैसे उन्हें कुबेर का खजाना ही मिल गया हो. अब न किसी को खाने की चिता थी न पीने की. सभी अपनो पढ़ाई को भूल कर मग्न हुए खेल रहे थे. धीरे-धीरे दिन बीत गया और शाम हो गई. सूरज छिप रहा था परन्तु किसी को भी घर जाने को चिन्ता नहीं थी. जब काफी अन्धेरा होने लगा तो तोतों को रखने का सवाल आया. रवि कहता तोतों को मैं रखूंगा तो अनिल कहता तू कैसे रखेगा. विपिन कहता तुम कंसे रखोगे. तोतों को तो मैं रखूंगा। सभी अपनी बातें कह रहे थे. इस बात को लेकर सब में झगड़ा होने' लगा. भगड़े में सब एक-दूसरे को पीट रहे थे. इतने में किसी का हाथ तोतों के पिजरे की सांकल पर पड़ गया और वह खुल गई. उसके खुलते ही तोते फुर्र से आसमान  में उड़ गए.सारे के सारे बच्चे उनको उड़ते हुए देखते रह गए. उन्हें बहुत पश्चाताप हुआ क्योंकि उनके पन्द्रह रुपए हवा में उड़ गए थे. वह एक-दूसरे को देखते रह गए और उदास मन से अपने-अपने घर चले गए. 


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