दरोगा कबड्डी सिंह और दो चोर | Hindi Funny Kahani | Kahani |

 दरोगा कबड्डी सिंह और दो चोर | Hindi Funny Story | Kahani |

दरोगा कबड्डी सिंह का नाम किसी गुन्डे बदमाश के लिये कँपा देने वाला नाम था. पिछले बीस साल की पुलिस की नौकरी में न जाने उन्होंने कितने ही अपराधियों को सुधारा था. वे न तो किसी अपराधी को मारते पीटते थे. और नहीं उसे बेइज्जत करते थे लेकिन उसे एकदम सीधा कर देते थे. क्या मजाल थी कि एक बार दरोगा कबड्डी सिंह के हाथ पड़ जाये और अपराधी बना रहें. वे जुर्म को हमेशा के लिये खत्म कर देते हैं. उनके तरीके एक दम निराले थे उनका विश्वास अपराधी को मारने पीटने में कतई न था.

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इस शंहर में वे अभो नये-नये आये थे. किसी को भी उनकी तासीर का पता न था संयोग से दूसरे ही दिन उन्होंने दो चोरों को चोरी के अपराध में गिरफ्तार कर लिया बहुत ही पुराने और छठे किस्म के चोर थे. पुलिस उन दोनों को चोरी करने के आरोप में कई-कई बार बन्द कर चुकी थी. दरोगा कबड्टी सिंह को जब इन दोनों चोरों के पिछले खराब रिकार्ड के बारे में पता चला तो एक पल में सब समभ गये. शाम हुई ढल गयी. रात हो गयी रात के करीब ग्यारह बजे थे वे दोनों हवालात में बन्द थे वे दोनों आपस में बातचीत करने लगे उनमें से एक बोला -'यार ये दरोगा जी बहुत अच्छे आदमी हैं पहले जितने भी मिले सभी मारते थे जब भी पकड़े जाते थे मार पड़ती थी पर अब की बार ये नये दरोगा जी ने कुछ भी नहीं कहा - लगता है बहुत ही भले आदमी हैं. दोनों कम्बल ओढ़ कर हवालात में पसर गये. सुबह कोई पाँच बजे कन्धे पर संगीन लटकाये हवलदार ने हवालात का ताला खोला दोनों चोरों की नींद खुल गयी. हवलदार कड़क कर बोला "चलो तुम दोनों को दरोगा जी अपने क्वाटर में बुलाते है "दोनों तुरन्त उठ कर चल दिये. दरोगा जी अपने क्वाटर में नंगे बदन तेल मालिश  कर रहे थे दोनों चुपचाप कमरे में खड़े हो गये. दरोगा जी ने कड़क कर हवलदार से कहा- सुनो तुम बाहर दरवाजे पर खड़े रहो इन दोनों में से कोई भागने की कोशिश करे संगीन भौक देना. फिर वे दोनों चोरों से बोले चलो कपड़े उतारो और अपनी- अपनी तेल मालिश करों. वे दोनों डर के मारे कपड़े उतार कर तेल मालिश करने लगे जब दोनों ने काफी तेल पोत लिया तो दरोगा जी बोले -'अब हमारी मालिश करों: करीब घंटे  भर तक वे दोनों दरोगा जी की मालिश करते रहे. अब तक वे दोनों हाँफने लगे थे जब दरोगा जी ने देखा कि वह थक कर चूर हो चुके हैं तो वे तेजी से बोले “चलो वे दोनों ईंट उठाकर ह॒त्थी जमाकर एक हजार दण्ड लगाओ और दूसरे से कहा तुम एक हजार बेठक लगाओ.' हवलदार संगीन तैयार रखना"- कड़क कर बोले। 

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चोर दण्ड बेठक लगाने लगे. वे जब भी  रुकते तो दरोगा जी फिर एक से शुरू करवाते थे. घन्टों इसी तरह बीत गये दोनों चोर हाथ जोड़ कर बोले -' हूजूर माई बाप हम जीवन में कभी चोरी नहीं करेंगे. हम अपने बच्चों की कसम खाते हैं हमें अब की बार माफ कर दो हम चोरी का सारा माल लौटाने को तैयार हैं.इसके बाद दरोगा जी ने' उन दोनों को छोड़ दिया और इस तरह दरोगा कबड्डी सिंह ने दो चोरों को सही रास्ता दिखा कर एक केस अपनी डायरी में और दर्ज कर लिया.


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