चोर फंसा जाल में | Tenaliram Ki Kahani in Hindi | Hindi kahaniya

 चोर फंसा जाल में | Tenaliram Ki Kahani in Hindi | Hindi kahaniya
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Tenaliram Ki Kahani in Hindi

चोर फंसा जाल में | Tenaliram Ki Kahani in Hindi | Hindi kahaniya 

एक बार विजय नगर में चोरी और लूटपाट की घटनाएं बहुत बढ़ गईं। राजा कृष्णदेव राय ने मंत्री को बुलाकर जल्दी अपराधियों को पकड़ने के लिए कहा। मंत्री ने कोतवाल को बुलाकर कहा - "अपराधियों को जल्दी से जल्दी पकड़कर हाज़िर कीजिये।"पर हालत नहीं संभली। यहाँ तक की राजदरबारियों के घर में भी चोरियां होने लगीं। आखिर राजा कृष्णदेव राय ने तेनालीराम को चोरों को पकड़ने का जिम्मा सौंपा। वह बोला - "महाराज, चोर कितने ही शातिर हों, पकड़ में ज़रूर आ जायेंगे।"
तेनालीराम को गए एक-एक कर तीन दिन बीत गए, पर चोरियों का सिलसिला जारी रहा। इससे राजा की चिंता और बढ़ गयी। दरबारियों ने कहा - "लगता है महाराज, तेनालीराम कहीं मुंह छिपाकर बैठ  गया है।"उसी दिन लोगों ने एक अनोखी घोषणा सुनी। नगर सेठ गंगादास ने घोषणा करवाई थी कि कल से उनके घर पर उनके पुरखों के हीरे-जवाहरात के गहनों की प्रदर्शनी होगी। यह प्रदर्शनी दिन - रात खुली रहेगी। अगले दिन लोग इस प्रदर्शनी को देखने के लिए टूट पड़े। कुछ लोग रात में आकर भी देखते। रात के समय खूब रोशनी में गहनों की सुंदरता और भी निखर जाती। एक रात कुछ लोग गहनों की प्रदर्शनी देख रहे थे।
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 हीरे के गहने एक बड़ी सी अलमारी में शीशे के अंदर में रखे थे। अचानक उनमे से एक ने अलमारी का दरवाज़ा खोलकर झपट्टा मारा और गहने लेकर भागने की कोशिश की। पर तभी खटाक की आवाज़ के साथ दरवाज़ा बंद हुआ और चोर का हाथ उसमे फंस गया। सादे वेश में भीड़ में छिपे सैनिकों ने उसे हथकड़ियां पहना दीं। उसके साथी भी पकड़ लिए गए।
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अगले दिन चोरों का पूरा दल राजदरबार में पेश किया गया। नगर सेठ गंगादास भी दरबार में उपस्थित थे। राजा ने कहा - "गंगादास, जब राजधानी में इतनी चोरियां हो रही थीं, तो तुम्हे इस प्रदर्शनी की क्यों सूझी?" सुनकर गंगादास हँसे। बोले - "महाराज, हमारे गुरु जी ने ऐसी ही सलाह दी थी।""कौन गुरु जी?" राजा ने पूछा, तो एक लम्बी, धवल दाढ़ी और जटाओं वाला साधु नज़र आया। वह बोला - "अब आप भी चाहें तो गुरु ओझानंद से मिल लीजिये।" साधु ने दाढ़ी और जटाएं उतारी, तो सामनेतेनालीराम खड़ा था।
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 यह देखकर राजा कृष्णदेव राय मुस्कुरा उठे। उन्होंने उसी समय अपना बेशकीमती हार उतारकर उसे पहना दिया।

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